Thursday, December 27, 2012


एक पत्थर को तराशने से सुन्दर मूर्ति बन सकती है तो कर्मो के सहारे जिन्दगी को तराशने से बहुत सुन्दर स्वरुप बन सकता है। कर्म करने से पहले सोचें कि मेरे से कोई गलत कर्म न हो जाए। क्योंकि प्रकृति का नियम है कि कर्म-फल अवश्य भोगना पड़ता है और प्रकृति के नियम तुम बदल नहीं सकते । तुम्हारा गलत कर्म ही तुम्हारे लिए परेशानी पैदा करता है, इसलिए ऐसा कोई कर्म ना करो जो तुम्हें परेशानियों में डुबा दे और विपत्तियां तुम्हारे ऊपर मडराने लगें । ह्र्दय में परमात्मा का नाम लेते हुए कर्म करोगे तो गलत काम की सम्भावना नहीं रहेंगी ।

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